थोपी गई साजिस
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तस्वीर - गूगल से
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लोग
कहते हैं, धर्म अपनी स्वतंत्रता, विश्वास और चुनाव है। हम देखते हैं कि धर्म एक ठप्पा है जो जन्म के साथ ही
हमारी सोच के दायरे, चुनाव की शर्तें आदि पर लगा दिया
जाता है। कितना झूठ बोलते हैं ये! जन्म से हम चिंतनशील और नेक नहीं होते। पर जन्म
से ही हम ज़रूर हिन्दू, मुस्लिम, ईसाई, पारसी आदी तय कर दिए होते हैं। दरअसल
हमारा विश्वास हमारे जन्म के पहले से ही तय कर दिया जाता है। सालों
तक ठप्पे में प्रशिक्षण के बाद भी, यदि आपने सवाल किया, तो ये ठप्पा के रक्षक गरम
हो जाते हैं। उनका ये गरम होना, उनके ठप्पे की साजिस की
पोल खोलती है। ये ज़िन्दगी भर लोगों को ठप्पे में
प्रशिक्षित करते हैं, चंद नास्तिकों के चंद सवालों से
इनका ठप्पा वाला साम्राज्य हिलने लगता है। ये ठप्पा थोपी गई साजिस है, सत्ता पाने और लोगों को गुलाम बनाने की।