मुस्लिम के घर जन्म
लेने वाला हिन्दू क्यों नहीं होता? हिन्दू
के घर जन्म लेने वाला ईसाई क्यों नहीं होता? ईसाई के घर जन्म
लेने वाला मुस्लिम क्यों नहीं होता? वह इसलिए कि धर्म और
ईश्वर की संकल्पना कृत्रिम और समाज द्वारा बचपन से ठुंसा जाता है। फिर हम जीवन भर
उसी खूंटे से बंधे रहते हैं। कोई मूर्ति पूजा को बकवास मानता है, तो कोई मूर्ति को ईश्वर। जो जिस धर्मावलम्बी के घर जन्म लेता है उसे वही
घुट्टी मिलती है। हम बार-बार प्रैक्टिस करवा के सीखाते हैं। जब बच्चा 6 माह का होता है, तभी से।
हम तर्कशील और
स्वतंत्र चिंतन विकसित होने को प्रेरित और सहयोग नहीं करते। हम डरते हैं कि कहीं
वो नास्तिक न बन जाये। सवाल-जवाब न करने लगे। सभी मान्यताओं पर कारण न पूछें। मूलतः
हमारा समाज डरपोक लोगों का समाज है। वह किसी इंसान को इसलिए नहीं छोड़ता कि यदि उसे
स्वतंत्र और चिंतनशील बनने छोड़ दिया, तो
कहीं नास्तिक न बन जाये। तो नास्तिकों से दुनिया को बहुत खतरा है।
आप चाहते हैं एक ऐसा
इंसान जो धर्म, जाति, आडम्बर, पितृसत्ता, शोषण, दमन आदि पर
आपके बनाये मानदंड पर चले। ऐसा कभी भी तर्कशील और स्वतंत्र इंसान नहीं करेगा। आपको
दरअसल एक गधा चाहिए जिसपर आप बोझ डाल दें और वह उसे ढोता रहे, बिना सवाल किये। वरना आपका ईश्वर जो सर्वशक्तिमान और सर्वव्यापी है उसे
घुट्टी पिला के क्यों सीखना पड़ता। सोचिये। आपको इंसान के अनुभव हासिल करने पर नहीं,
उसमें ईश्वर और धर्म ठुंसे जाने में ज्यादा यकीन है।