आगे भी उम्मीद नहीं
बरसों से अब तक न पाया
आगे भी उम्मीद नहीं
किसने सुना, कही सुनाया
आगे भी उम्मीद नहीं
जब-जब दिखने की हो बारी
उसने की भारी तैयारी
छिपकर बैठा आसमान में
आगे भी उम्मीद नहीं
जब-जब घोर विपद-सी आयी
नयनों मे बदरी-सी छायी
खूब पुकारा, कोई न आया
आगे भी उम्मीद नहीं
सारे नियम लिख मारे हैं
सारे ग्रन्थ भेज डाले हैं
कर न सके कोई परिवर्तन
आगे भी उम्मीद नहीं
थोड़े चक्कर दान-धरम के
थोड़े से कुछ पाप-करम के
जीत सके इससे न कोई
आगे भी उम्मीद नहीं ।।
– ऋषि आचार्य
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जो सच सच बोलेंगे मारे जाएंगे
जो इस पागलपन में शामिल नहीं होंगे मारे जाएंगे। कठघरे मे खड़े कर दिए जायेंगे जो विरोध में बोलेंगे जो सच सच बोलेंगे मारे जाएंगे।
बर्दाश्त नहीं किया जाएगा कि
किसी की कमीज हो उनकी कमीज से ज्यादा सफेद कमीज पर जिनके दाग नहीं होंगे मारे जाएंगे।
धकेल दिए जाएंगे कला की
दुनिया से बाहर जो चारण नहीं होंगे जो गुण नही गाएंगे मारे जाएंगे।
धर्म की ध्वजा उठाने जो
नहीं जाएंगे जुलूस में गोलियां भून डालेंगीं उन्हें काफिर करार दिए जाएंगे।
सबसे बडा् अपराध है इस समय में
निहत्थे और निरपराधी होना जो अपराधी नही होंगे मारे जायेंगे..."
– राजेश जोशी
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