सेक्स तो
छोडिये भारतीय समाज में एक युवक और युवती को मिलने की इज़ाज़त तक नहीं है। लड़कियों को खासकर घरो में बंद कर रखा जाता
है। मानसिकता है कि शादी से पहले यह गलत या पाप है। इसकी जड़ में है भारतीय मानस
में ब्रह्मचर्य को लेकर ग़लतफ़हमी जिसका आधार है धार्मिक ग्रंथ। बाबा लोग भी इसे और
भी विकृत रूप में परोसते रहते हैं, भले ही उनके किस्से रोज जाहिर हो रहे हैं. बाबा
आसाराम के बारे में तो आप जानते ही होंगे, ऐसे कई बाबा हैं।
एक
युवक और युवती को बिना शादी के चुम्मी भी लेता देख लिया जाता है तो उनके घरवालों
द्वारा उनकी हत्या कर देना भारत के लिए कोई अपवाद नहीं है। इसे ऑनर किलिंग कहते
हैं शायद। यानि कि प्रेम, सेक्स और शादी भी यदि युवा अपनी पसंद से करते हैं
तो ये घर के सम्मान का हत्यारा बन जाता है।
सिर्फ
घर की बात नहीं है, हमारा समाज और सरकार भी ऐसा ही सोचती हैं। ‘वैलेंटाइन-डे’ वाला
हिन्दू संगठनों द्वारा होने वाला बवाल, मार-पिटाई और ‘एंटी-रोमिओ’ वाली बात तो
आपको पता होगी। वैसे शहरों में स्थिति बदल रही है।
उपरोक्त बातों से, बस इतना कहना चाह रहा हूँ, कि बहुत दबाव और
कुंठा है भारतीय युवा में सेक्स को लेकर, और ज्ञान कम। लड़के और लड़की के मिलने को अपराध समझा जाता है। यही कारण है कि भारत और पाकिस्तान जैसे देश के युवा पोर्न साईट देखने में
अव्वल हैं। इसको भारत में बलात्कार कि बढ़ती संख्या से
भी जोड़ के देख सकते हैं।