धर्म एक टूल है जो
धंधा करने, लोगों को बेवकूफ बनाने, सत्ता हासिल करने, अपनी जिम्मेदारी किसी और को
सौंपने, भेदभाव और हिंसा पैदा करने आदि में सटीक रूप से
कार्य करता है। इसका आधार लोगों में डर और अज्ञानता का होना है। धर्म इतना पिटाया शब्द है कि इसके कई अर्थ बताये जाते हैं। राजनेता के लिए
शासन करना धर्म है। एक रूढ़िवादी के लिए जाति को मानना धर्म है। किसी के लिए
प्रकृति के नियम धर्म है। किसी के लिए कर्तव्य धर्म है। किसी के लिए जो धारण करने
योग्य धर्म है। किसी के लिए कुरान या भागवत गीता में लिखी हर बात धर्म है। किसी के लिए मंदिर में घंटा
बजाना धर्म है। किसी के लिए टोपी पहनना धर्म है। किसी के लिए धर्म के लिए जान लेना
और जान देना धर्म है। किसी के लिए भीड़ का हिस्सा होना धर्म है। किसी के लिए
बेवकूफी भरे नियमों और आडंबरों को मानना धर्म है। किसी के लिए मंगलवार को बाल नहीं
कटवाना धर्म है। किसी के लिए भगवा धर्म है। किसी के लिए हरा झंडा धर्म है। धर्म की
एक परिभाषा नहीं है। शायद इसलिए भी की इसको इस्तेमाल करने वालों ने अपनी सहूलियत
से उसे व्याख्यायित किया और अपना स्वार्थ साधा। मेरी परिभाषा मेरे अपने चिंतन और
अनुभव पर आधारित है। आप अपनी परिभाषा रखिये, मुझे कोई आपत्ति नहीं है। वैसे भी हज़ारों परिभाषाओं में, मेरे एक परिभाषा के बढ़ने से लोगों को आपत्ति नहीं होगी। होगी भी तो कोई
बात नहीं।