हमारे देश में गाय और
कुतिया को जितना सम्मान है। माँ का दर्जा तक है। काश! जिंदा इंसानों को इसका आधा
सम्मान भी भक्त बरत पाते। यहां तो इंसानों को अछूत और सामाजिक गैर-बराबरी झेलना
पड़ता है। आज से नहीं सदियों से। ईश्वरीय विधान और धर्म के नाम पर। हमारा महान देश,
उत्पीड़क व्यवस्था।
नोट: तस्वीर
प्रतीकात्मक है। लेखक जानवरों के सम्मान का विरोध नहीं करता।