कुछ माह पूर्व,
एक वियतनामी साथी से बात हो रही थी। उन्होंने बताया, कई सालों तक वियतनाम में यह प्रचलन था कि लड़की की शादी से पूर्व लड़की को
लड़के के साथ एक रात गुजारने के लिए भेजा जाता था। उस रात बिस्तर पर सफेद चादर
बिछाया जाता था। अगर सेक्स के दौरान खून निकला, तो
समझा जाता था कि लड़की ने किसी के साथ पहले सेक्स नहीं किया और वर्जिन है।
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यह चित्र प्रतीकात्मक है। अल ज़जीरा से साभार।
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भारत में भी ऎसी कुप्रथा जारी है। बस अंतर यह है कि वह शादी के बाद सुहागरात के समय किया जाता है। एक अंतर और है वह यह कि खून निकले या नहीं, लड़की लड़के के परिवार में ही रहती है।
खून नहीं निकलने पर उससे शादी नहीं की जाती थी और वापस लड़की को उसके मां-बाप के घर भेज दिया जाता था। सफेद चादर इसलिए रखी जाती थी कि खून का दाग दिख सके।
हाँ! लड़के के लिए अथवा पति परमेश्वर के लिए उसकी वर्जिनिटी पता
करने की न ही कोई जरूरत यह ढ़ोंगी समाज समझता है, न ही ऐसी चर्चा का आग्रह ही है।
यह पितृसत्तात्मक व्यवस्था का स्त्रियों के प्रति शोषक चरित्र है। यह स्त्री पुरुष की बराबरी में मौलिक अधिकार के भी विरुद्ध है, पर कई संस्कृति का हिस्सा है।
ऐसी मानसिकता का समूल नाश करना जरूरी है,
जो ऐसी संस्कृति को गौरवान्वित करते हैं और बढ़ावा देते हैं। ऐसी पहल
युवा ज़रूर कर सकते हैं।
नोट: किसी भी प्रकार के वर्जिनिटी टेस्ट को लेखक इंसान की गरिमा के विरुद्ध मानता है और इस प्रकार के टेस्ट की प्रणाली का
विरोध करता है।